संस्कृति >> बुन्देलखण्ड का साहित्य, कला और संस्कृति बुन्देलखण्ड का साहित्य, कला और संस्कृतिपरशुराम शुक्ला
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बुन्देलखण्ड का साहित्य, कला और संस्कृति
भारत के हृदय स्थल में स्थित बुन्देलखण्ड साहित्य, कला और संस्कृति की दृष्टि से एक सम्पन्न क्षेत्र है। यह रानी लक्ष्मीबाई, बुन्देला राजा वीर सिंह जूदेव, महाबली गामा, मेजर ध्यानचन्द की धरती है। गोस्वामी तुलसीदास, महाकवि केशव दास, जगनिक, मैथिलीशरण गुप्त, वृन्दावनलाल वर्मा जैसे महान सहित्यकारों ने हिन्दी साहित्य की सेवा करके इस क्षेत्र का मान बढाया।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र दो राज्यों में बँटा हुआ है उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश। झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, जालौन, ललितपुर आदि जिले उत्तर प्रदेश में हैं, जबकि दतिया, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ आदि जिले मध्यप्रदेश में आते है। सन 1960 से बुन्देलखण्ड को अलग राज्य बनाने के लिए आन्दोलन चलाया जा रहा है, किन्तु दो राज्यों में बँटा होने के कारण इसे सफलता नहीं मिल रही है।
बुन्देलखण्ड अपने शानदार धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के लिए विख्यात है। इनमें दतिया, ओरछा, झाँसी और छतरपुर प्रमुख हैं। दतिया का वीर सिह जूदेव महल, ओरछा का राम मदिर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का किला एवं रानी महल तथा छतरपुर का खजुराहो यहाँ के विशिष्ट दर्शनीय स्थल हैं। चन्देल राजाओं द्वारा निर्मित खजुराहो के मंदिरों में ' काम सर्वत्र व्याप्त है। काम कला को सजीव अभिव्यक्ति देने वाली मूर्तियाँ यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण हैं। इन्हें देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक यहाँ खिचे चले आते हैं।
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